गैर-कानूनी नहीं है सेब पर मोम, 100 साल पहले शुरू हुआ था यह काम
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी भी देती है अनुमति देश में फलों से निकले मोम का होता है उपयोग फलों और सब्जियों पर कृत्रिम रंग और केमिकल के जरिए चमकीला बनाकर बाजार में बेचने का चलन आम है, खाने की इच्छा जताई. सेब को उनके स्टाफ ने धोना शुरू किया. लेकिन जब सेब को धोने की कोशिश की गई तो वह ठीक से धुल नहीं पा रहा था. पानी से धोने पर सेब हाथ से लेकिन केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ही इसके शिकार हो गए. उन्होंने सेब फिसल रहा था. इसके बाद स्टाफ ने सेब को चाकू से खुरचा तो उस पर मोम (wax) लगा हुआ मिला. इसके बाद फल विक्रेता पर कार्रवाई की गई.
क्या आपको पता है कि सेब या फलों पर मोम क्यों लगाते हैं?
विशेषज्ञों की मानें तो लगभग हर फल पर कुदरती मोम की एक परत होती है. लेकिन फलों पर अतिरिक्त मोम की परत चढ़ाने की प्रक्रिया दुनिया में करीब 100 सालों से हो रही है. फलों की पैकेजिंग या उसे तोड़ते समय रगड़ से प्राकृतिक मोम की परत उतर जाती है. इसके बाद, दुनिया भर की सरकारों ने फलों पर मोम लगाने की अनुमति दी ताकि वह ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रह सके. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के मुताबिक वेजीटेबल वैक्स का फल सब्जियों पर प्रयोग हो सकता है. कुदरती मोम सब्जियों, दालों, खनिजों, चर्बी और फलों से प्राप्त होता है. भारत में ज्यादातर फलों पर खजूर के पत्तों से मिलने वाले कैरानौबा मोम की परत चढ़ी होती है.
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी दी है गुणवत्तापूर्ण मोम की परत लगाने की अनुमति. (फोटो-PIB)
100 साल से हो रहा है मोम की परत चढ़ाने की तकनीक का इस्तेमाल
ऐसा माना जाता है कि करीब 100 वर्षों से सेबों पर प्राकृतिक मोम की परत चढ़ाई जा रही है. इससे फल का रस नहीं सूखता. उसकी चमक भी बरकरार रहती है. फलों को सुरक्षित रखने का यह एक साधारण तरीका है. भारत में भी सालों से इसका इस्तेमाल हो रहा है. हिमाचल प्रदेश के सेब पैदा करने वाले किसान भी करीब डेढ़ दशकों से सेबों पर मोम की परत चढ़ाते आ रहे हैं. ताकि, सेब बिना फ्रिज के लंबे समय तक ताजे रह सकें. पंजाब में किन्नू पर भी खाने योग्य मोम की परत चढ़ाई जाती है. मोम चढ़ाने से फलों को लंबे समय तक के लिए सुरक्षित रखते हुए दूर-दराज के इलाकों में भेजा जा सकता है. नींबू, अंगूर, केला, खीरा, टमाटर, तरबूज, संतरा और आड़ू जैसे फलों व सब्जियों पर मोम की परतें चढ़ाई जाती हैं.
प्राकृतिक मोम से सेहत को नुकसान नहीं, यह पेट में नहीं घुलता
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो फल, दाल, मधुमक्खी के छत्ते और सब्जियों से मिलने वाले मोम से सेहत को कोई नुकसान नहीं होता है. क्योंकि यह मोम पेट में घुलता नहीं है और मल के रास्ते बाहर निकल जाता है. लेकिन, आजकल घटिया क्वालिटी का मोम इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे किडनी तक में संक्रमण हो सकता है. नसें कमजोर हो सकती हैं. बच्चों में डायरिया का खतरा बढ़ जाता है.
फलों पर चढ़े मोम की जांच ऐसे कर सकते हैं आप
सेब को चाकू से धीरे-धीरे खुरचिए. आपको मोम की परत उतरती नजर आएगी. आप मोम को जमा करेंगे तो यह काफी हो जाएगा. सेब जितना ज्यादा चमकदार होगा, उस पर मोम की परत उतनी ही ज्यादा मोटी होगी. सेब को गर्म पानी में डालिए. इससे मोम पिघल जाएगा. इसके बाद सेब को फिर से धो लीजिए. इससे बचने के लिए फलों का छिलका उतारकर भी खाया जा सकता है.
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Neha Gupta
Panipat